चमत्कारी खजाना
चमत्कारी खजाना
मेरे पास एक चमत्कारी छड़ी
पल में हल करती मुसीबत बड़ी-बड़ी
जो मैं माँगू पल में उपलब्ध करवाती
मेरी हर ख्वाहिश को पूरा कर जाती
जाने कैसी जादू भरी बातें करती
सबका मन क्षण में मोह लेती
एक दिन वह खो गयी जब
समझ में आयी बात यह तब
माँ कहती चमत्कार सब बहाना है
अपना परिश्रम ही असली खजाना है
उसके खोने से बिखर गया सब
जैसे भूत रहते हो यहाँ अब
धीरे-धीरे सीखा उसके बिना जीना
तब पाया उसका होना जैसे जहर का पीना
सरलता की क्या कीमत होती
मेहनत का क्या मिलता मोती
असली चमत्कार स्वयं में खरा है
बाकी सब मन गलतफहमी से भरा है।