मेरी तस्वीर
मेरी तस्वीर
तस्वीर बनाता हूं, तस्वीर नहीं बनती,
तस्वीर नहीं बनती ...
वो क्या नज़ारा है, जिसे देखूं और कागज़ पे भरूं रंग मैं
है कौन सी शकल वो, जो मोहे मुझे और ढल जाए चित्र में,
अब ना कहीं क़रार है, ना फिज़ा में वो बहार है,
हुए रंग सब मैले से ना आलम अब खुशगवार है,
ये कैसी हवा है, हर शख्स क्यूं बीमार है
क्यूं फिर रहा मारा मारा ये, हर सांस पग पग पर भारी है
मेरा देश का हाल आज जंग सा क्यूं है,
ये कैसा जहरीला जीव है, क्यूं बढ़ रही ये बीमारी है,
ज़िंदगी की रफ्तार अब थम गई
हालात काबू में आए अब ये इंतजार है..
हर सांस बेखौफ चल
े, ना दवा की दरकार रहे
ये नज़ारा भी महफूज रहे, दरख़्तों पे ना आरी चले
ये कड़ी है सब जुड़ी हुईं, के फूल पत्ती में भी जान है
जो दोगे प्यार दुलार इन्हें बदले में मिलेगी सांस है,
देखी सौदा कितना फायदे का है, इसमें ना नुकसान है
खिलाओ पेड़, फूलों की अब क्यारी के इनमें भी जान है
इतना सुकून मिलेगा तुम्हें, मिलेगा इतना प्यार
हो जाओगे धन्य तुम भी, जब पाओगे अपने प्राण
तब लौटेगी रंगत फिर से, महकेगा फिर से हर आलम
खुशगवार होगी हर शक्ल तभी, उठेगी मेरी भी कलम
आएगा कागज़ पे फिर से रंग, बनेगी सुन्दर मेरी तस्वीर
बरसेगा झूमता सावन गिर, मस्त गाएंगे रांझा हीर।