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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

मेरी जिंदगी बालाजी तू

मेरी जिंदगी बालाजी तू

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मेरी सुबह भी तू और मेरी शाम भी तू

मेरी जिंदगी की एकमात्र आरजू भी तू

रात-दिन बालाजी तुझे याद करता हूं

मेरी हरपल की वक्त की गुजरती घड़ी तू


तेरा दर्शन हो जाये, जिंदगी बन जाये,

मेरी जिंदगी की आखरी जुतजु भी तू

कोई मुझसे मेरी रजा पूंछे, उन्हें कह दूं,

मेरी रुह की रवानगी सिर्फ बालाजी तू


जैसे दीप अधूरा होता है, बाती बिना

वैसे ही साखी अधूरा है, बालाजी बिना

मेरी रोशनी, मेरे भीतर की प्रदीप्त अग्नि तू

जब तक न लूं तेरा नाम, ना आये आराम


मेरा हर आंनद, हर खुशी की खुशी तू

किसे यहां बंगला चाहिए, किसे कोठी 

मुझे चाहिए, बालाजी तेरी भक्ति रोटी

मेरी हर याद, भीतर छिपी तस्वीर तू


जैसे मछली, पानी मे रहने से संतुष्ट है,

वैसे साखी, बालाजी तेरी भक्ति से संतुष्ट है,

में चकोर, बालाजी स्वाति नक्षत्र की बूंद तू

तू मिल जाये बालाजी, जिंदगी मिल जाये,


मत पूछ बालाजी मुझसे मेरी जिंदगी तू

तेरे बिना जीना सोच भी न सकता हूं,

मेरी सोच की हर सोच बालाजी सिर्फ तू

विचारों की क्या, सांसो की हवा भी तू


पहली-आखरी दिल्लगी बालाजी सिर्फ तू

रहना दिल में बालाजी तू धड़कन बनकर,

मेरे इस दिल में क्या रोम-रोम में तू ही तू

मौत कभी भी आये मुझे गम न होगा


गर तू न सामने हुआ, सांसें अटक जाएगी

जिंदगी क्या, मौत क्या मेरी तो रुह ही तू।


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