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Rajeev Rawat

Inspirational

4  

Rajeev Rawat

Inspirational

ऊँचाइयाँ

ऊँचाइयाँ

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जिन्दगी में

सफलताओं की सीढ़ी पर 

चढ़ कर सभी पकड़ना चाहते हैं

ऊँचाइयों के किनारों को-

आंसमा पर कदम रख कर 

रोंदना चाहते हैं चमकते हुए चांद -सितारों को-


भला किसे है

उस जमीं की चिंता 

जिसने उसके जीवन के लिए 

अपनी उर्वरता को किया था

अर्पित - श्वासों की वायू बन कर

उसकी चाहत की खातिर रही समर्पित - 


कभी पानी की 

बूंदे बनकर तन मन को रही भिंगोती-

कभी तेरे स्वप्नों की खातिर

एक एक पल रही पिरोती-


तेरी राह के 

सारे कटंकों का दर्द खुद सह कर 

राह को नर्म घास और फूल में बदले-

दो बोल ही तो प्यार के तुसझे मांगे वो पगले-


उन्नति और प्रगति के पथ पर 

ऊचाईयों पर जाना बहुत जरूरी है-

लेकिन 

मुड़कर अपनी जड़े न देखना 

तेरी तो मगरूरी है--।


याद रखिये 

जो अपनों को छोड़ ऊंचाइयों पर उड़ जाते हैं-

समय की गर्मी में

एक दिन उनके पर भी जल जाते हैं।


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