तेरी यादों की बारिश तले
तेरी यादों की बारिश तले
यूं तो तेरी यादें भी,
तन्हाई में अक्सर पलकों में आकर पलें-
कितनी बार भींगे हैं तन्हा तेरी यादों की बारिश तले-
अतृप्ति मन, एक मीठी तृप्ति की तलाश में-
जल कर खिलता प्यार की ऊष्णता में, बन कर पलाश में-
वो ह्दय का स्पंदन और श्वासों की रिदम् में-
खोजता रहा अपलक तुझे ही हरदम में-
हरे हरे पात में, सुबह लेकर रात में-
नयनों की कोरों को भिगोंता रहा आसुओं की बरसात में-
एक लिए आस में, मन में लिए काश! में,
पतझड़ का अंत हो और कहीं प्यार का पुष्प खिले-
कितनी बार भींगे हैं तन्हा तेरी यादों की बारिश तले-
चाहतों की राह में, अपने इश्क की पनाह में-
सुनता रहा हूं चुपके चुपके आती मजबूरियों की आह मैं-
यादों के अंधेरे में कतरा-ए-रोशनी के लिए-
तरसता रहा, तड़फता रहा, बस अपने होंठो को सिये-
हर आहट में मैं तेरा अक्स ही खोजता -
हर पल, हर घड़ी तुझको ही सोचता -
अंतहीन यात्रा यादों की गुजरती रही-
ह्रदय से गम-ओ-दर्द की सरिता सी बहती रही-
समय के हाथों से गये थे दो दिल छले-
कितनी बार भींगे हैं तन्हा तेरी यादों की बारिश तले।