STORYMIRROR

Ashu Kapoor

Romance Tragedy

4  

Ashu Kapoor

Romance Tragedy

विचलित मन की भूली हुई याद

विचलित मन की भूली हुई याद

1 min
348


 मन वीणा के तारों में

जब गम झंकृत होने लगता है----

 नम आंखों से

 अश्रुओं का जब

 लय विकंपित होता है

 दिल के सागर में--- जब जब

 यादों की लहरें उठती हैं

 जो छोड़ गये थे----

 हाथ मेरा,

 जो छोड़ गये थे

  साथ मेरा

  जब- तब उनकी यादों का

  तूफान सिमटने लगता है---

   अनसुलझे सवालों की

    कारा में                --- जब

    ये मन बंदी बनने लगता है----

    अधूरी ख्वाहिशों के

    भंवरों में---- जब जीवन फंसने लगता है

    बस उसी पल

    ये मन मेरा

    विचलित होने लगता है।


    जब जान से प्यारा--- मित्र कोई

  आंख फेरने लगता है,

   जान- बूझ कर जब कोई

   अनजान समझने लगता है

    किसे त्याग दूं,

    किसे अपना लूं

     जब भव- सागर में डूब-डूब

     ये दिल हिचकोले खाने लगता है

     बस ,उसी पल ये मन मेरा---

           

विचलित होने लगता है!!

   इन भूली --बिसरी

   यादों की कारा में

   जब दिल बंदी बन जाता है,

   बस फिर उसी पल

   ये मन मेरा

  विचलित होने लगता है

    


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance