विचलित मन की भूली हुई याद
विचलित मन की भूली हुई याद
मन वीणा के तारों में
जब गम झंकृत होने लगता है----
नम आंखों से
अश्रुओं का जब
लय विकंपित होता है
दिल के सागर में--- जब जब
यादों की लहरें उठती हैं
जो छोड़ गये थे----
हाथ मेरा,
जो छोड़ गये थे
साथ मेरा
जब- तब उनकी यादों का
तूफान सिमटने लगता है---
अनसुलझे सवालों की
कारा में --- जब
ये मन बंदी बनने लगता है----
अधूरी ख्वाहिशों के
भंवरों में---- जब जीवन फंसने लगता है
बस उसी पल
ये मन मेरा
विचलित होने लगता है।
जब जान से प्यारा--- मित्र कोई
आंख फेरने लगता है,
जान- बूझ कर जब कोई
अनजान समझने लगता है
किसे त्याग दूं,
किसे अपना लूं
जब भव- सागर में डूब-डूब
ये दिल हिचकोले खाने लगता है
बस ,उसी पल ये मन मेरा---
विचलित होने लगता है!!
इन भूली --बिसरी
यादों की कारा में
जब दिल बंदी बन जाता है,
बस फिर उसी पल
ये मन मेरा
विचलित होने लगता है

