आज का दिन
आज का दिन
आज खुशी में कोई कमी सी है,
हँस॔ती हुई आंखों में भी,
नमी सी है,
आज दिन भी चुपचाप
सर झुकाए हुए था,
रात की नब्ज भी,
थमी थमी सी है,
आज दिल भी बेजार है,
किया,कुछ भी नहीं और
थकान बेशुमार है,
आज चांद बेनूर और आस्मां उदास है,
ना जाने कौन, बिछड़ गया उससे
कि, बारिश के बहाने
रोरोकर बेहाल है !
कोहरे की चादर,
घनी हो रही है
आजऊपर वाला भी किसी दुख से
बेजार है,
आज कौन बिछड़ गया है
हे कान्हा तुम से,
कि, सूरज को भी
निकलने से इंकार है !
आज दिन भी चुपचाप
सर झुकाए हुए हैं !