लफ्जों से गुफ्तगू
लफ्जों से गुफ्तगू


विचारों के इस महासागर में
मन
नैया सम डोलत जाए,
अल्फाजों की भीड़ में,
मन हिचकोले खाए,
लिखना चाहूं जब भी कुछ,
कलम, हाथ से छूटी जाए,
क्यूं न ऐसा करूं-‐
कि लफ़्ज़ों को--
चाय पर बुलाया जाए,
शायद
फिर, इस गुफ्तगू में,
कोई गीत रचा ही जाए,
चाय की आड़ में---
कुछ राज-- खुल ही जाएं
फिर शायद,
इस मन की बातें---
कागज पर आ जाएं
अल्फाजों संग--
चाय पीते-पीते---
अंतरमन की
गांठें ही खुल जाएं !
शायद फिर इस---
गुफ्तगू में---
कोई गीत रचा ही जाए,
कोई कविता लिखी ही जाए,
कोई कहानी ही बन जाए!!
विचारों के इस महासागर में
मन नैया सम डोलत जाए !