होली गीत--दो शब्द
होली गीत--दो शब्द
ऐसो रंग दओ मोय की गुजरिया ने
हम तो लुट गये, बीच बजरिया में
नैनों ने नेनों को देखा, मिल गये दो दो नैना
नेनों ने नेनों से मिलकर, छीना दिल का चेना
जा के छुप गयी वो तो कुठरिया में
ऐसो रंग दओ मोय गुजरिया ने
हम तो लुट गये, बीच बजरिया में
दरवाजे के पीछे छुपकर, वो मंद मंद मुस्कराये
छज्जे से रंग डाल कर और अंखियन तीर चलाये
हम तो मर गये तिरछी नजरिया में
ऐसो रंग दओ मोय गुजरिया ने
हम तो लुट गये, बीच बजरिया में
सबरीं तीर कटारी चला गयीं, रंग बिरंगी होली में
खुद घूमें मदमस्त मस्त सी, भींगीं भींगी चोली में
अरे दिल तो मोरों अटको अटरिया में
ऐसो रंग दओ मोय की गुजरिया ने
हम तो लुट गये, बीच बजरिया में
मटक मटक के ठुमक ठुमक कर मारें ऐसे ठुमके
दिल तो मेरा घायल कर गये, ये कानों के झुमके
अब सब पीटो ढोल नगरिया में
ऐसो रंग दओ मोय गुजरिया ने
हम तो लुट गये, बीच बजरिया में
आंखों का कजरा मैं देखूं, या अधरों की लाली को
भंग तो ससुरी ऐसी चढ़ गयी, लागें सब घरवाली सौं
अरे बल तो आ गये कमंरिया में
ऐसो रंग दओ मोय गुजरिया ने
हम तो लुट गये, बीच बजरिया में
भूल गये हम पत्नी के संग, जनम जनम का वादा
हम तो बन गये श्याम सलोने, हर कोई लागे राधा
अरे पड़ गये लठ्ठ तो डगरिया में
ऐसो रंग दओ मोय की गुजरिया ने
हम तो लुट गये बीच बजरिया में।