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चलो याद करें उनको हम , जो लौट कर घर न आये। चलो याद करें उनको हम , जो लौट कर घर न आये।
पतझड़ का अंत हो और कहीं प्यार का पुष्प खिले- पतझड़ का अंत हो और कहीं प्यार का पुष्प खिले-
उठती मन की पीड़ में- मिलने की अहसास में होता हूं अधीर मैं। उठती मन की पीड़ में- मिलने की अहसास में होता हूं अधीर मैं।
कितनी बार भींगे हैं तन्हा तेरी यादों की बारिश तले- कितनी बार भींगे हैं तन्हा तेरी यादों की बारिश तले-
हर तरफ स्वार्थ के हस्ताक्षरों ने लिख दिया था भाग्य को- हर तरफ स्वार्थ के हस्ताक्षरों ने लिख दिया था भाग्य को-
हम भी तो तेरे बाग के पंछी, क्या परवाज करायेगा हम भी तो तेरे बाग के पंछी, क्या परवाज करायेगा
ऐसो रंग दओ मोय की गुजरिया ने हम तो लुट गये बीच बजरिया में। ऐसो रंग दओ मोय की गुजरिया ने हम तो लुट गये बीच बजरिया में।
जब तेरी गोदी में सिर रख कर, चांद भरी उन रातों में जब तेरी गोदी में सिर रख कर, चांद भरी उन रातों में
साहित्यकार के अहसासों और भावनाओं को, तालियों के टक्कर में- साहित्यकार के अहसासों और भावनाओं को, तालियों के टक्कर में-
जनता के लिए, जनता का शासन गणतंत्र का अर्थ न समझे मात्र देते हैं भाषण। जनता के लिए, जनता का शासन गणतंत्र का अर्थ न समझे मात्र देते हैं भाषण।