गणतंत्र - दो शब्द
गणतंत्र - दो शब्द
जनता के लिए, जनता का शासन
गणतंत्र का अर्थ न समझे मात्र देते हैं भाषण-
गली गली में शोर मचाते
रंगबिरंगे ध्वज लिए नारे लगाते हमें चाहिए आजादी--
कहीं काम से, कहीं धर्म से और कहीं संबधो से आजादी--
जो गणतंत्र का अर्थ है क्या जो समझ न पाये
वो भी भीड़तंत्र में हाथ उठाये मांग रहे हैं आजादी -
गणतंत्र के
रूप बदल गये और बदल गये हैं अर्थ सभी- -
देश की खातिर मरने वालों के बलिदान हो गये ज्यों व्यर्थ सभी--
तोड़ रहे पत्थर लेकर कांच की दीवारों को--
कैसे कैसे नारे लिखकर वीभत्स किया मीनारों को--
थी थोड़ी जो शर्म हया है, बिक गयी बीच बाजारों में--
अपना आशियाना जला दिया है, अपने ही अंगारों नें--
आज समय भी
थमा थमा सा पूंछ रहा है, देखकर ऐसी बर्बादी - -
आज हमें बतलाओ क्या यही होती है गणतंत्र में आजादी--
जिस गणतंत्र की
खातिर कितने मां के बेटे कुर्बान हुए--
रक्त की होली में डूबे कितने, सर संधान हुए--
वह शहीद फांसी पर
चढते चढते वह यही शब्द तो बोला था--
मां की खातिर जाये जान भले ही पर रंग लिया वसंती चोला था--
अंग्रेजों से आजाद हुए पर अब अपनों से यह आजादी -
धर्म का बंधन, जाति का बंधन और ऊंच नीच की आजादी - -
विद्या मांगे चीख चीख कर लक्ष्मी पतियों से आजादी - -
नारी मांगे नर की ओछी मानसिकता से आजादी--
जनता मांगे रूढ़िवादी विचारों और भ्रष्टाचार से आजादी--
बच्चे मांगें मां-बाप से आजादी -
इस गणतंत्र के हवन कुंड में हमने अरमानों को जलते देखा -
रंक से राजा हमने नेताओं को रोज ही बनते देखा -
अधिकारियों और नेताओं के दर पर
गणतंत्र को झुक कर देते हमने सलामी देते देखा है--
और दो जून की रोटी की खातिर अपनों की करते गुलामी हमने देखा है--
कहीं कहीं तो
इस गणतंत्र में तन को भी बिकते देखा है-
अधनंगे बदनों को हमने भरी धूप में जलते-तपते देखा है--
बस झंडो के
रंग बदल गये और नियंत्रको के चोला--
उनकी रूहें कराह रहीं हैं जो मर गये आजादी की खातिर
कह कर मेरा रंग दे बसंती चोला--
सच्चा गणतंत्र तभी आयेगा
जब समानता और संभावनाओं को एक ही पलड़े में तौला होगा--
भूखे पेट न कोई सोये हर मुख मे निवाला होगा--
जब खुले आम चौराहे पर दानवता दडिंत होगी--
और मानवता बन राजधर्म फिर महिमामंडित होगी--
क्या! आजादी का ऐसा स्वप्न कभी पूरा हो पायेगा--
एक घाट में बकरी शेर बिना आखेट रह पायेगा--
और क्या कभी गणतंत्र के
रामराज्य का स्वप्न धरती पर उतर कर छा पायेगा--
बस इंतजार में बैठे हैं कि वह दिन कब आयेगा।