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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Classics Children

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Classics Children

गीत : वो पुराने दिन

गीत : वो पुराने दिन

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हर किसी को याद आते हैं वो पुराने दिन 

वो हसीन पल, रंगीन रातें वो सुहाने दिन 

बचपन की बेफिक्र मस्ती के दीवाने दिन 

अल्हड़ उम्र की नासमझी के मस्ताने दिन 


वो नाव जो हमने कभी पानी में तैराई थी 

वो आज तक कभी लौटकर ना आई थी 

वो प्लेन जो यद्यपि कागज का होता था 

मगर आसमान से बातें किया करता था 

पीछे छूट गये सब यादों के परवाने दिन 

हर किसी को याद आते हैं वो पुराने दिन 

गांव की टेढ़ी मेढ़ी गलियों में वो चक्कर घुमाना

पत्थर को फुटबॉल बनाकर उसे ठोकर लगाना


छोटे छोटे से पिल्लों को एक दूजे से लड़ाना 

चिलचिलाती धूप में खेलने पर मां से डांट खाना

सब उड़न छू हो गये हमारे वो मनमाने दिन 

हर किसी को याद आते हैं वो पुराने दिन 


किसी हसीन चेहरे पे दिल ही दिल में मरना

छुप छुप के आह भरना दिल ही दिल में जलना

किताब में रखकर वो पहला प्रेमपत्र भेजना

डर के मारे फिर दस दिनों तक बाहर ना निकलना


आज भी याद आते हैं वो नादानियों के दिन

हर किसी को याद आते हैं वो पुराने दिन

नौकरी के पहले दिन ही कॉलेज में पढ़ाने जाना

घबरा के कुर्सी से टकराना और लड़कों का हंसना


लड़कियों के झुंड में पिकनिक में वो गाना सुनाना

शादी के प्रस्तावों पर फिर बुरी तरह से झुंझलाना 

फिर किसी अजनबी के साथ गठबंधन के दिन

हर किसी को याद आते हैं वो पुराने दिन 


प्रशासनिक सेवाओं में जाने की तमन्ना रखना

रोज चार पांच घंटे पढना और तैयारी करना

मेरी किताबों को बीवी के द्वारा सौतन कहना 

और आखिर में अपने अंजाम तक पहुंचना 

वो मेहनत के दिन वो मीठी झिड़कियों के दिन

हर किसी को याद आते हैं वो पुराने दिन। 


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