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सुधीर गुप्ता "चक्र"

Comedy

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सुधीर गुप्ता "चक्र"

Comedy

डॉक्टर का पत्र पत्नी के नाम

डॉक्टर का पत्र पत्नी के नाम

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मेरी प्यारी एन्टीबायोटिक

सरला स्वराज

सुबह, दोपहर, शाम

प्यार की

तीन मीठी सी खुराक

डरता हूँ

इसलिए

विनम्र निवेदन करता हूँ

मुझ गरीब से तुम

क्यों दूर रहती हो इतना

स्टेन्डर्ड कम्पनी की महंगी दवाई

दूर रहती है मुझसे जितना ।

मैं तुम्हारे प्यार का

हार्ट पेसेन्ट हूँ

सेन्ट परसेन्ट हूँ

ऐसा डॉक्टर ने बतलाया है

क्योंकि

एक्सरे में तुम्हारा चित्र

स्पष्ट नजर आया है

तुम्हारी जुदाई मुझे

ब्लड टेस्ट की सुई सी चुभ रही है

यह दूरी मुझे

दर्द निवारक इंजेक्शन की तरह

सहन नहीं होती

काश !

तुम मेरे पास होतीं ।

डॉक्टर की टॉर्च की तरह चमकती

तुम्हारी आँखें

स्टेथिस्कोप सी फैली

लचकदार बाँहे

रूई के फाहे की तरह

कोमल स्पर्श तुम्हारा

और

तेज बुखार में

थर्मामीटर की तरह बढ़ता

तुम्हारा गुस्से का पारा

हमको भाता है

बहुत याद आता है ।

तुम

मायके जाने की खुशी में

गर्म पानी की थैली में भरे

पानी के समान फूल रही हो

और मैं

तुम्हारी याद में

ग्लूकोज चढ़ रही बोतल के समान

पिचकता जा रहा हूँ

चिपकता जा रहा हूँ ।

सच कहता हूँ

तुम मेरी

सभी रोगों की एन्टीबायोटिक दवा हो

तुम्हारी कसम

तुम हो मेरे लिए स्वर्ण भस्म ।

तुम

हमारी आपसी नोंक-झोंक को

अब भूल जाओ

और इसे

कैंसर या एड्स की तरह

लाइलाज मत बनाओ

अब लौट आओ

अब लौट आओ

अब लौट आओ।





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