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सुधीर गुप्ता "चक्र"

Abstract

4.5  

सुधीर गुप्ता "चक्र"

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जींस और टॉप

जींस और टॉप

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हमें

न जाने क्या हो गया

आपस का प्यार खो बैठे

हमें देख

हमारे आधुनिक लज्जा वस्त्रों


जींस और टॉप की भी

आपस में ठन गई

और

जिद्दी टॉप की

जींस से दूरी बढ गयी


और बढी...........

और बढी...........

बढती ही गयी


जींस ने भी

सभ्यता को चिढाकर

दूरी बढाना शुरू कर दी

हद कर दी

आपस का मनमुटाव

मनमानी करने लगा

और


सभ्यता का हनन करके

संस्कृति को रौंदने लगा

जींस ने

नाभि की सरहद पार कर ली

टॉप भी

मनमानी करके आगे बढ चला


बदतमीज

अपने वक्षस्थल की सरहद पार करे

इससे पहले

दोनों में कितना प्यार था

बताना होगा


समा जाते थे एक-दूसरे में

साक्षी है बेल्ट इस बात का

जो

रखता था ध्यान इस बात का

कि


मर्यादा उघारी न हो

इसलिए

खुश होकर लिपट जाता था

दोनों के केंद्र बिंदु कमर से


भारतीय सभ्यता का बलात्कार हो

और

हमारे संस्कार आत्महत्या करें

इससे पहले

विपरीत चल रहे


दोनों बिंदुओं (जींस और टॉप) को

वृत्त की परिधि में लाना होगा

क्योंकि

एक-दूसरे के विपरीत


गतिशील बिंदु

नकारात्मक हों

तो भी

वृत्त में

एक निश्चित स्थान पर

मिल ही जाते हैं।


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