हार
हार


जब
मैले और फटेहाल
चीथड़ों में रहने वाली
इधर-उधर भटकती
सर खुजाती हुयी पागल औरत
किसी के पाप का बोझ उठाती है
तब एक बात स्पष्ट नजर आती है
कि वासना के आगे
सौंदर्य की भी हार हो जाती है।
जब
मैले और फटेहाल
चीथड़ों में रहने वाली
इधर-उधर भटकती
सर खुजाती हुयी पागल औरत
किसी के पाप का बोझ उठाती है
तब एक बात स्पष्ट नजर आती है
कि वासना के आगे
सौंदर्य की भी हार हो जाती है।