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सुधीर गुप्ता "चक्र"

Abstract Tragedy

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सुधीर गुप्ता "चक्र"

Abstract Tragedy

डस्टबिन

डस्टबिन

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एक स्त्री को देखते ही

कामांध पुरुष

करता है उसकी देह का

गंदा मानसिक चित्रण

और

समा जाता है उसके मन में 

गंदे विचारों का ढेर सारा कचरा

सोचिये….

जब 

एक पुरुष

अपनी सोच और

विचारों से नहीं जीत पाता है

तो

उसका मस्तिष्क

ओछे विचारों की गंदगी से भरी

डस्टबिन हो जाता है।



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