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Preeti Rathore

Children Stories Comedy Inspirational

4.5  

Preeti Rathore

Children Stories Comedy Inspirational

मिडिल क्लास

मिडिल क्लास

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हम मिडिल क्लास वाले बच्चे हे भाई

हमें कहा अपनी मर्जी से जीने दिया जाता है...

बचपन से ही अपनी ख्वाहिशों से

समझौता करना सिखा दिया जाता है...

मान-मर्यादा, रीति -रिवाजों का

पाठ बहुत अच्छे से पढ़ा दिया जाता है...

सपनों का आसमान तो है

परों को जिम्मेदारी की बंदिशों में बांध दिया जाता है...

कम पैसो में घर कैसे चले

इसका ज्ञान लगभग रोज दिया जाता है...

चाहते है घर के बच्चे डॉक्टर, वकील, इंजीनियर बने

पर उनका दाखिला पास के आर्ट्स कॉलेज में करवा दिया जाता है...


बच्चों की खुशी के लिए सब कुछ करते है

पर बच्चों की खुशी किसमें है

यही पुछना हमेशा भुला दिया जाता है...

ग्रेजुएशन पुरी होते ही

पुश्तैनी काम सौंप दिया जाता है...

पढ़ लिख कर कुछ नहीं किया

ये ताना साथ में ओर दिया जाता है...

चाहे हम कितने ही अच्छे से अपनी पसंद

के प्रेमी के बारे में जाने

पर विवाह अजनबी के साथ करवा दिया जाता है...

और तो और शादी हमारी

महत्व फुफाजी की पसंद को दिया जाता है...

जिस बेटी को कभी मांगने पर 5 रुपये नहीं दिये

उसकी शादी में जीवन भर की पुरी जमापुंजी को

लुटा दिया जाता है...

नाती पोते का मुंह देख ले फिर चैन से स्वर्ग जायेंगे

बोल बोल कर इस चक्र को एक बार फिर बढ़ा दिया जाता है...

कैसे अपनी ख्वाहिशों को पूरा करें?

जिंदगी को अपने हिसाब से कैसे जीएं?

इनका जबाव ढूंढने का मौका ही कहा दिया जाता है...

गर जो कोई निकलना भी चाहे यहाँ से

टांग खींचकर वापस इसी जिंदगी में ला दिया जाता है...

आह! जिंदगी अभी खत्म नहीं हुई जनाब

और हम भी मिडिल क्लास वाले बच्चे है

थोड़े से शरारती पर मन के सच्चे है...

जो नहीं मिला है उसे रोने के साथ -साथ

जो मिला है उसे भरपूर जीते है...

जिंदगी जीना कोई हम से सीखे

हर पल नयी यादें संजोते है...

बेशक बहुत कुछ अधूरा है इस जिंदगी

फिर भी हमेशा खुश रहते है...


कितनी भी परेशानी क्यों ना हो

अदरक वाली चाय में अपना सुकून ढूंढ ही लेते है...

कभी रिश्तेदारों से सुनते तो कभी

उनके घर जाकर उनको सुना भी देते है...

अजनबी को अपनेपन के अहसास में बांधकर

सात जन्मो के लिए रिश्ता जोड़ लेते है...

सच पुछो तो हमें भी रहता है घर में नाती पोतो का इंतजार

उनके जीवन मे अपने अधूरे सपनों को पूरा कर लेते है...

भले ही लोग तीन घंटे की फिल्म के किरदार को सेलिब्रिटी माने

पर हमारी जिंदगी के नायक हम खुद होते है...

इस चार दिन की जिंदगी में कभी जिंदगी हमारे मजे

लेती है तो कभी हम जिंदगी के मजे ले लेते है...

जिंदगी को अपने हिसाब से ना सही अपने अनूठे अंदाज से जीते है!



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