इंतजार
इंतजार
मुद्दतो बाद ही सही तुम से मुलाकात हो
भीड से बेखबर बस तुम्हारा साथ हो
खोयी रहुँ तुझमे ही ना जग का कोई ख्याल हो
पहली मुलाकात सी फिर मुलाकात हो
खामोशी रहे पर आँखो से सब बयान हो
फीकी चाय उसमे तुम्हारी बातो की मिठास हो
अन्तर्मन भीगे आनन्द से फिर वो सावन की बरसात हो
कभी खत्म न होने वाली रात हो
आंसुओ से विरह की यादो की बरसात हो
जीवन मे फिर ये विरह का वनवास न हो
खो जाऊं तुझ मे ही क्या पता ये मुलाकात फिर ना हो
तुम सिर्फ मेरे, मै सिर्फ तुम्हारी जन्मो जन्म का अटुट साथ हो
अनकहे अल्फाजो से बयां जज्बात हो
मेरी तन्हाईयां अक्सर करती है बाते तेरी
पर मुद्दतो बाद ही सही तुम से मुलाकात हो...