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Praveen Gola

Romance

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Praveen Gola

Romance

तेरे प्यासे बदन की गंध ने

तेरे प्यासे बदन की गंध ने

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तेरे प्यासे बदन की गंध ने,

मेरे दिल को बेकाबू किया,

मैं इधर - उधर भटकता रहा,

तेरी जुस्तजू ने जादू किया।


हर शाम तुझे पाने की तड़प,

एक धीमी आग सुलगाने लगी,

तेरी रूह में उतरने के लिए,

ये जिस्म भी बेकाबू हुआ।


तेरी प्यास आँखों में दिखी,

तेरी बातों से ये और जगी ,

मैं संभल - संभल के चला,

फिर भी देख फिसल ही गया।


तेरी लड़खड़ाती जुबां ने,

जो एक इशारा दिया मुझे,

मैं झूमता चला गया ....

मेरा मन और चंचल हुआ।


तू मिलेगी जब तो ये समां,

होगा रंगीन जितना आसमां,

तेरे प्यासे बदन की गंध ने,

मेरे दिल को बेकाबू किया।



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