Afsos-अफ़सोस
Afsos-अफ़सोस
अफ़सोस है सिर्फ अब कोई फ़र्ज़ नहीं
दिल पर बोझ है अब मोहब्बत करने की ताकत नहीं
बेवफ़ा मैं हूँ कि वो कोई ख़बर नहीं
ख़बर रखता था जिसकी हर वक़्त उसको मेरी फ़िकर नहीं
मर चुका हूँ मैं अब जिंदा होने का एहसास नहीं
उसने कंधा देने से मना कर दिया किस तकिये पर
सर रखूं मैं मुझे नींद आती नहीं
बेचैनी में रहता हूँ मैं किसी सदाओं की शहर में नहीं
दिल में रखा था जिसे दहलीज़ पर उसके जाने पर
वो मेरी तौहीन करना भूली नहीं
बहुत याद करता हूँ जिसे उसको शायद मैं याद नहीं
कुछ ही लम्हे बितायें थे संग उसके याद आने पर
थोड़ी मुस्कुराहट थोड़े आंसू आये बिना रहते नहीं
आज भी मिलने जाता हूँ उसको मरहबा मुझे कभी कहती नहीं
देख कर ही दूर से मुंह फेर लेती है दिल को मेरे
रुलाये बिना वो भी सुकून से रहती नहीं
हालात कैसे है मेरे वो पूछने कभी आयीं नहीं
मेरी दुनिया तबाह हो गयी उसकी यादों से घेरा
रहता हूँ मैं अब दुनिया मे जीने की आदत नहीं
ग़मो की कमी नहीं है तकलीफ़ है
इस बात की के कोई हमदर्द नहीं
कोई प्यार से सुनाये मुझे नात
ऐसा कोई फिरदौस नहीं
कैसे जीऊंगा मैं लंबी उम्र बितानी है
ये कोई छोटी रात नहीं
रोते है आंसू मेरे उनको तेरा साथ नहीं
तड़पता है दिल मेरा जिसको बाहों में तेरी जग़ह नहीं।