असली पूजन
असली पूजन
बहुत हुआ भजन चिंतन
अब जतन यही किया जाए
आओ जिन्हें हम पूज रहे
उनकी तरह जिया जाए
जीवन इतिहास बता कर के
तथ्यों को कब तक तोलोगे,
व्यर्थ करोगे कुछ पल सबके
जो बस नाम नाम ही बोलोगे
अगर मानते हो उनको
अगर जानते हो उनको
दर्शन उनका अपनाता हूं
क्यों न ये प्रण लिया जाए
बहुत हुआ चिंतन पूजन
अब जतन यही किया जाए
पुष्पों से जिनको लाद रहे
उनकी तरह जिया जाए
तुम करके कैद तस्वीरों में,
रंग उनका बतलाते हो,
समेट असीम को, देकर रूप
गर्वित प्रीत जताते हो,
बेहतर हो शिव शिव कहने से,
अब थोड़ा ज़हर पिया जाए,
बहुत हुआ भजन चिंतन,
अब ये जतन किया जाए,
आओ जिन्हें हम पूज रहे,
उनकी तरह जिया जाए।।
हो सकता तस्वीर किसी की
तुमसे बेहतर और प्यारी हो
खिलते हो रंग किसी के ज्यादा
और फीकी प्रीत तुम्हारी हो
क्यूं व्यर्थ उलझते झंझट में
कोई फसाद नया क्यूं किया जाए
बहुत हुआ महिमा मंडन
अब जतन यही किया जाए,
आओ जिन्हें हम पूज रहे,
उनकी तरह जिया जाए।।