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Neeraj pal

Abstract

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Neeraj pal

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ग़ज़ल।

ग़ज़ल।

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तेरे दामन में आया हूं ऐ सनम, दिल में अपने जगह दीजिए

गर तेरे काबिल नहीं तो अपने कदमों में ही रख लीजिए


तेरे ही नूर से है सब जन्नत, चांद, तारे भी तुझसे है रोशन

हम तो अंधेरों में ही गुम हो गए, हमको अपने में ही मिला लीजिए


छा जाती है मस्ती तुझसे मिलकर, जैसे जल बिन तड़पती है मछली

मेरा दिल तो खाली पड़ा है, सूने दिल में ही जगह दीजिए


मैं तो वह बूंद हूँ जो मिलने को है तरसती, अपनी मंजिल पाने को

कहीं यह मिट्टी में ना मिल जाए, मुझे अपने में ही लिपटा लीजिए


तुझको पाने की जो लगी लौ है,वो कभी भी मिटने न पाये

तूफाँ में कहीं यह बुझ न जाए, हवा का रुख ही मोड़ दीजिए


दीवाना हूँ मैं इस कदर,कि कैसे तेरे दीदार हो जाएं

अब तो मुख से पर्दा हटा ले, ज़लवा "नीरज"को ही दिखा दीजिए।


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