STORYMIRROR

अंकित शर्मा (आज़ाद)

Inspirational

4  

अंकित शर्मा (आज़ाद)

Inspirational

मंज़िल

मंज़िल

1 min
9

वो राह जिसमें हर तरफ
एक ही जज्बात है,
बस जीतने को है जतन
रफ़्तार की है बात है,

दिक्कतें दिखती तो हैं
पर जब डराती हैं नहीं
थमने को थक कर हार कर
जब जी चलाती हैं नहीं

जब हर एक कंटक राह का
एक फूल सा अहसास दे
जब हर एक प्याला विष भरा
मीठे शहद सी प्यास दे

जब अपमान के,उपहास के
शब्दों से घायल मन नहीं 
मेहनत तो है भरपूर पर
थका हुआ ये तन नहीं 

विश्वास ही विश्वास है
हर कर्म में हर प्रयास में
सानिध्य ईश्वर का मुझे
गर्जन है हर इक स्वास में

जब नित दृश्य आंखे देखती
खुद को विजय में झूमते।
हैं स्वप्न बस जिनमें अधर,
चोटी की मस्तक चूमते।।

जब भय नहीं, पीड़ा नहीं
संकल्प ही संकल्प है,
आहूत जीवन कर दिया
तब मंजिल ही इक विकल्प है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational