STORYMIRROR

अंकित शर्मा (आज़ाद)

Others

4  

अंकित शर्मा (आज़ाद)

Others

संतोष कालरा – मेरी हिंदी की गुरु

संतोष कालरा – मेरी हिंदी की गुरु

1 min
22

जब भी पढ़ता हूं कोई कविता कोई लेख,
अर्थ, तुम अपनी ही शैली में समझाती हो,
बोलती हो भीतर मेरे मन में,
बातें न जाने कितनी कर जाती हो,

ढाला है तुमने, मुझे बहुत प्यार से,
जो कुछ भी हूं सब तुम्हारे संस्कार से,
तुम मां हो मेरी ,मैं अब भी अबोध ’अंकित’
ऊर्जा मेरी सदा तुमसे ही सिंचित,

बस इतना कहूंगा, सदा खुश तुम रहो मां,
जो हो कोई उलझन, सब मुझसे कहो मां, स्वस्थ रहो तन से, रब से यही रज़ा है,
आशीष देना हरदम बस इतनी इल्तिज़ा है,

 जन्मदिन की हार्दिक शुभकामना 😊🙏🏻


Rate this content
Log in