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अंकित शर्मा (आज़ाद)

Abstract Inspirational Others

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अंकित शर्मा (आज़ाद)

Abstract Inspirational Others

सूर्य

सूर्य

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इक सुबह सूरज से पूछा
निमित्त क्या है नित उदय का?
क्यों नहीं थकते कभी भी?
पाबंद क्यों इतना समय का?

ज्वाला हृदय में, ताप तन में
सब तुम्हारे हुए कायल,
तुम स्वयं जगमग, दीप्त खुद से,
क्या ढ़केंगे तुमको बादल,

अनवरत गतिशील तुम हो,
है गजब का ओज तुममें
तुम एकाकी अडिग कर्ता 
साथ की न खोज तुममें,

सम्मुख हुए ये जगत सारा
महिमा तुम्हारी मानता है,
जो पीठ फेरे आधा जग है
वो चांदनी से जानता है,

तुम सभी को देने वाले,
कोई भी न भेद करते,
आदर्श पालक, न्याय कर्ता, 
महिमा तुम्हारी वेद करते।

जब भी थक कर बैठता हूं
तुमको करता याद मन में।
तुम सा ’दिया' भी बन सकूं
ये प्रार्थना मेरे हर नमन में।




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