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Baman Chandra Dixit

Abstract

5.0  

Baman Chandra Dixit

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तेरे जानेके बाद

तेरे जानेके बाद

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कहाँ है वो सुकून तेरे जाने के बाद

फागु जो धो लिया मैंने फ़ागुन के बाद

पत्ते सूख गए कलियाँ मुरझा गयी

मौसम भी रूठ गया, तेरे जाने के बाद।


कलियों का खिलना डालियों का हिलना

बागों मे इतराती तितलियों से मिलना

भौरों के गुंजन कोयलिया की कूंजन

गुमसुम सा ये पवन, तेरे जाने के बाद।


एक पारिजात दूजा है ये पलास

पत्ते झड़ गए फ़िर भी ना उदास

डाली भर भर रंगों का पिटारा लिए

बैशाख-शाख-सवार तेरे जाने के बाद।


तड़पती धरती तपता सारा गगन

झुलसा आसमान जलता जल पवन

जेठ का पैठ अब भी तो है बाकी

चैत्र बैशाख विचित्र, तेरे जाने के बाद।


सावन को भी तो अभी आना ही होगा

तपन जलन का ज्वाला सहना होगा

तभी तो बरखा बूंदों में बंट कर

सींचेगी धरती, तेरे जाने के बाद।


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