STORYMIRROR

Dr Baman Chandra Dixit

Others

4  

Dr Baman Chandra Dixit

Others

क्या पाओगे

क्या पाओगे

1 min
318


यूँ मुझे ठुकरा कर तुम क्या पाओगे

अपनी जमीर से आप फिसल जाओगे।।

मालूम तो है तुम्हें क्या किया क्या न किया

जानते भी हो तुम कब किया , कैसे किया

बनोगे अनजान तो पकड़े ही जाओगे ।।

रात थी घनी जब , रोशनी गायब थी ।

चाँद था न सितारे , मौसम खराब भी

याद आते ही खुद ही सिहर जाओगे ।।

साँसें भी टोकती होगी बहने से पहले,

ज़ुबाँ भी रुकती होगी कहने से पहले,

फिर कहो गैर मुझे कैसे कह पाओगे?

आदतों से समझौता मान लिया होगा,

हालातों के मारा हूँ , जान लिया होगा

मगर जमाने से कैसे जता पाओगे ?

मैं था और रहूंगा भी आस पास तेरे

भले हो ही न पाया , कोई खास तेरे

मगर मेरे होने को कैसे रोक पाओगे?



Rate this content
Log in