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Dr Baman Chandra Dixit

Abstract

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Dr Baman Chandra Dixit

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mujhe maalum thaa

mujhe maalum thaa

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 मुझे मालूम था वो बोलेंगे नहीं
फिर भी उन्हें मुझे पूछना पड़ा ।

न पूछते तो ख़फ़ा हो जाते वो
न चाहते हुए मुझे पूछना पड़ा ।

अक्सर नाराज होना आदतों को देख
कभी खुश तो रहें बोलना पड़ा ।

उम्मीदें वफ़ा की बेवफा से कर ,
बेवजह खुद से ख़फ़ा रहना पड़ा ।

टूटे रिश्तों को जोड़ना आसां नहीं
इसलिए इस घड़ी इसे छोड़ना पड़ा ।। *^*^*^*^*^*^*^*^*^*^*^*^*^*^


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