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Shubhra Varshney

Abstract

4  

Shubhra Varshney

Abstract

बात करें हिन्दी की

बात करें हिन्दी की

2 mins
235



बात करें हिन्दी की

और उसकी अभिव्यक्ति का मेरा इरादा

सुकून और समझ में हो गई तकरार

बेचैनी से कर लिया वायदा।


बात करें हिन्दी की

और तमन्नाओं से परे की सोच का दौर

तूफ़ां से पहले की ख़ामोशी और

फिर उपजा बहुत सारा शोर।


बात करें हिन्दी की

और ज़ेहन और रूह की तकरार

नासाज़ सी अभिव्यक्ति की कीमत

फिर उतरता देशभक्ति का बुखार।


बात करें हिन्दी की

नवांकुरो के ख्वाबों की बनती बेफिक्र तस्वीर

हुनरमंदी की हवा में मिलती

फिर ख़ुशनसीबी सी तकद़ीर।


बात करें हिन्दी की

तमन्नाओं का उमड़ता उफान

सहमे दरकते जज़्बात

थकाती कोशिशें और रुकावटो का तूफ़ान।


बात करें हिन्दी की

सवालात के पीछे के सव़ाल

बेरहम सच्चाई का दौर

कलम का मचता बव़ाल।


बात करें हिन्दी की

सुख जैसे समंदर के तले की गहराई

ज़िंदगी की जलाती धूप

अपनों की रुसवाई।


बात करें हिन्दी की

अपनों के अंदर जमता मैल

लव़ो की झूठी मुस्कुराहटें

 खड़ा शोहरत का महल।


बात करें हिन्दी की

दिखता स्याह होता सच का दुशाला,

आगे बढ़ने की होड़

पस्त करती मक्कारी की पाठशाला।


बात करें हिन्दी की

व़क्त की बेतहाशा तेज रफ़्तार,

ज़ीने का बेदम करता जोख़िम

उस पर जान बनी व्यापार।


बात करें हिन्दी की

थकी हुई सांसें भागती ज़िंदगानी

भागता सिसकता शहर

बदलती रोज़ यहाँ हर एक कहानी।


बात करें हिन्दी की

हांफ़ती रुह तरक्की की पुकार

उखड़ते जमते मासूम पैर

सिर पर खिंचती बेरहम तलवार।


बात करें हिन्दी की

हर नई सुबह टूटता नया सपना

ख़ुद परस्ती के इस दौर में

बेवफ़ा लगे हर अपना।


बात करें हिन्दी की

कभी यह तेरा कभी यह मेरा

चकाचौंध दुनिया में

धूमिल होता हर नया सवेरा।


बात करें हिन्दी की

नई ख़ून का दौर मतलबी अंगड़ाई

सिकुड़े दिल जकड़ा द़िमाग

हो गयी रिश्तो की जगहंसाई।


बात करें हिन्दी की

चुग़लख़ोरी का बाज़ार बना जरूरतों का गुलाम

ह़क अदाई भी दुनिया में

लगता है अब अधूरा सा काम।


बात करें हिन्दी की

चुहलवाज़ियों पर जन्मों से जाई आदतें

पत्थर बरसाती दुनिया

तिस पर पखरी पुरानी ताकतें।


बात करें हिन्दी की अंधमुंदी आंखों में खोया हुआ चांद

वक्त की तग़ाफ़ुल पर

भारी पड़ता तपता उन्माद।


बात करें हिन्दी की

सदियों से सड़ती जड़ों से रिसता हुआ रक्त

मर्यादा की बेड़ियों से जकड़ा

कसमसाता है बदनसीब वक़्त।


बात करें हिन्दी की 

और उसकी अभिव्यक्ति का मेरा इरादा

सुकून व समझ में हो गयी तकरार

बेचैनी से कर लिया वायदा।



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