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Shubhra Varshney

Inspirational

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Shubhra Varshney

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दिन-8 हरा (मैं खुद आईना हो गई)

दिन-8 हरा (मैं खुद आईना हो गई)

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मेरी सारी ज़िंदगी का हासिल,

बस तेरी मुस्कुराहटें।

लम्हा लम्हा जी जो मैंने,

वो सारी तेरी आदतें।

आंखों से चली यह दुनिया,

कहां से कहां आ गई।

जो करने चली आंख मिचौली

मैं खुद आईना हो गई।


वो जो तेरे नाम पर लिखा,

उम्र का भरपूर हिस्सा।

हवाओं में बस तैर गया,

कागजों पर लिखा सारा किस्सा।

वह ख़ुमारी जो हम पर तारी,

बस सारी हमारी हो गई।

बनाकर गीत ज़िंदगी,

मैं खुद आईना हो गई।


दिल का नरम बिछौना,

जख्मों की तपिश है जलता।

आंखों की लिखी तहरीर पर,

अश्कों का दरिया है उमड़ता। 

टूटे ख्वाबों को महकाने,

आंखों से निंदिया खो गई।

देख बंद पलकों में सजे सपने,

मैं खुद आईना हो गई।


रंग बदलती दुनिया को,

सर झुका कर देख लिया।

वक़्त के नए तेवर को,

हथेली पर बस थाम लिया।

ख़्वाब सुहाना पाने को,

वो खनखनाती शाम गुजर गई।

खिलाने फूल मोहब्बत के

मैं खुद आईना हो गई।



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