गुरु रविंद्रनाथ टैगोर
गुरु रविंद्रनाथ टैगोर
महान कार्यों कि लंबी है सुची, कहलाए जो कवि महान।
गुरु रविन्द्र नाथ टैगोर नामक रचनाकार, पाए जगत में भव्य सम्मान।
जन्में शहर कोलकाता में, देवेन्द्र नाथ व शारदा थे मात पिता।।
ज्ञान की सीमा नहीं कोई, प्रत्येक जन गुरुदेव पुकारता।।
प्रसिद्ध भारतीय राष्ट्रीय गान के, प्रिय गुरुदेव निर्माता है।।
कवि कालिदास के पश्चात, नामांकित इन्हें किया जाता है।।
गुरुदेव मात्र वह प्राणी, कहलाए जो प्रसिद्ध गायक व उपन्यासकार।।
कहलाए शिक्षावादी व देशभक्त टैगोर, लाए अनेकों परिवर्तन व सुधार।।
आधुनिक शिक्षा सदैव नकारी, बालपन में जो शिक्षा की ग्रहण।।
युवावस्था में उच्च शिक्षा हेतु, गुरुदेव पहुंच गए थे लंदन।।
बैरिस्टर पिता बनाना चाहे, किंतु रविंद्र को साहित्य अति भाता।।
बालवस्था में गुरु रविंद्र का, जुड़ा अटूट साहित्य संग नाता।।
उच्च शिक्षा का कर परित्याग वह, अन्य ज्ञान समेट भारतवर्ष लौट आए।।
बंगाली व अंग्रेजी भाषा बना उपयोगी, लिख डाले अनेक गीत व रचनाए।।
51 वर्ष की आयु में, समस्त उपलब्धियां आई झोली में।।
गीतांजलि नामक प्रसिद्ध रचना, हुई अनुवादित अंग्रेजी बोली में।।
रचना यह जन-जन में प्रसिद्ध, महानता रविंद्र की करे प्रमाणित।।
अन्य देशों में हुई सराहना , भारतीय नोबेल पुरस्कार द्वारा हुए सम्मानित।।
महान कार्य किए जीवन काल में, गुरु शांतिनिकेतन स्थापित कराए।।
प्रत्येक मनुष्य जहां शिक्षा ग्रहण, कुदरती छांवों में कर पाए।।
बहुमुखी प्रतिभाओं के वह धनी, पाई परम डॉक्टर की उपाधि।।
महात्मा गांधी संग डोर मित्रता की, जीवन काल में रविंद्र ने बांधी।।
पुकारे गांधी जी गुरुदेव उन्हें, रविंद्र पुकार महात्मा करते सम्मान।।
रचना धर्मी संघ बन देशभक्त उन्होंने, स्तंभ किया जग में प्रकाशमान।।
गुरुदेव की रचनाओं का वर्णन, कहलाया था अत्यंत कल्याणकारी।।
साहित्य द्वारा भारतीय संस्कृति में, रविंद्र प्रदान किए बल अति भारी।।
अमर भेंट भारतीय राष्ट्रीयगान की, ह्रदयों से नहीं मिट पाएगी।।
सजी पंक्तियां अत्यंत शक्तिशाली, हमे उन्नति पथ पर चलाएंगी।।
केवल यह राष्ट्रीय गान नहीं, साक्षात गुरु रविंद्र की दिव्य पुकार।
जो बांधकर बंधन हिंदुस्तानी गुनगुनाए, होगा प्रत्येक दुश्मन पर प्रहार।।
80 वर्ष की वृद्ध अवस्था में, गुरुदेव सूना कर गए सदन।।
होकर ग्रसित बीमारी में, गुरू रविंद्र का हुआ निधन।।
होवे अवतरित गुरुदेव से प्राणी, धरा में युगो युगो पश्चात।।
चढ़ाकर गहरा रंग देशभक्ति का, समस्त श्रष्टि में होवे विख्यात।।