नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
चौदह संतानों में बालक इक, वीर सुभाष चन्द्र बोस कहलाए।।
गठन कर आजाद हिन्द फौज का, उपाधी परम नेता कि पाए।।
खोल पृष्ठ बालपन का दिखाएं, बुलंदियों को छूते थे इरादे।।
धारण कर खाकी वर्दी जो, क्रांतिकारी बन अनेकों किए वादे।।
शिक्षा का दौर हुआ आरंभ, नेताजी जी तोड़ दम लगाएं।।
उच्च शिक्षा द्वारा होकर सम्मानित, देशभक्ति का दामन थामते आए।।
बने सेवक प्रशाशन के, पिताजी बालपन में दिखाएं स्वप्न।।
कर भावनाओं का आदर नेताजी, प्रयासों द्वारा अधिकारी गए बन।।
क्रांतिकारी योजनाएं नेताजी की, करावाई न फिरंगी की गुलामी।।
प्रशासनिक सेवा का कर बलिदान, स्वदेशी डोर राजनीति की थामी।।
क्रांतिकारी वीर नेताओं संग, स्वतंत्रता सेनानी बने सुभाष।।
प्रेम पूर्वक स्वराज दल कर स्थापित, युवा नेता बन दिखाया प्रकाश।
चली गोलियां व लाठियां अनेक , नेताजी ध्वज फहरा किए जो नेतृत्व।।
कारागार में पल दिए गुजार, किंतु निभाए ह्रदय से दायित्व।।
वीर भगत सिंह से क्रांतिकारी, ब्रिटिश प्रशासन की निगरानी में।।
बनकर अग्रणी वीर अमर, भोगे कष्ट जवानी में।।
गांधी समित वीर नेताजी ने, गुहार भगत सिंह के प्राणों की लगाई।।
कट्टर निर्देशों में दे डाली फांसी, मिली ना भगत सिंह को रिहाई।।
गवा भगत सिंह सा क्रांतिकारी, फूट-फूट वीर नेताजी रोए।।
क्रांतिकारियों की फौज थी लंबी, मौत के घाट जो उतर गए।।
अत्
यंत क्रोधित हो ब्रिटिश सरकार ने, नेताजी डाल दिए कारागार भितर।
सजा किस गुनाह की पाई ? नेताजी मांगते प्रशासन से उत्तर।।
हुए जो ग्रसित बीमारी से, प्रशासन अत्यंत हुआ भयभीत।।
नेताजी की मंजूर हुई रिहाई, पहुंचे अन्य देशों में अपरिचित।।
मजबूत दल नेता जी ने बनाया, छिड़ा नवीन स्वतंत्रता संग्राम।।
आजाद हिंद फौज हुई गठित , हौसला चढ़ने लगा परवान।।
महिला शक्ति हेतु बन कार्यरत, 'झांसी की रानी' रेजीमेंट का हुआ उद्घाटन।।
" तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा ", जन-जन समक्ष किया आवाहन।।
बाबू व वीर नेताजी की, मेल न खाती थी विचारधारा।।
किंतु संकल्प दोनों का एक, शीघ्र हो भारत स्वतंत्र हमारा।।
पुकार गांधी को राष्ट्रपिता, नेताजी होते अत्यंत प्रसन्नचित।।
गांधी जी दिए नेता कि उपाधि, पाकर इरादे नेताजी के उचित।।
स्वतंत्रता जंग छिड़ी अति भारी, सफल प्रयास नहीं कहलाया।।
परिणाम हिंद फौज के संघर्षों का, पश्चात भव्य रूप में आया।।
किस्सा नेताजी की मृत्यु का, पहेली सा बनकर रह गया।।
नेताजी की कहानी पर, पूर्ण विराम सा लग गया।।
कारण सदैव रहस्यमई रहा, मौत गले कब सुभाष को लगाई।।
वीर बालक मां भारती का, युवाओं को प्रेरणा जिसने दिलाई।।
वीर सुभाष के पुनर्जन्म का, सदैव इंतजार मुझे रहेगा।।
थामकर आदर्शों का दामन, हिंदुस्तान दिव्य पथ पर चलेगा।।
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