हम हिंदुस्तानी
हम हिंदुस्तानी
बातें तुम्हें सुनाऊँ नयी पुरानी है।
हिन्द देश हम सारे हिंदुस्तानी है ।।
सुबह सलोनी सोना नित सरसाती है,
रात चाँदनी चाँदी सा बरसाती है ।
फूलों पर भँवरों की गुन गुन गूँज रही -
देख तितलियों को कलियाँ खिल जाती है ।
घूँघट डाले खिलती नयी जवानी है ।
हिन्द देश हम सारे हिंदुस्तानी है ।।
यहाँ बाभनी गौरैया कहलाती है,
छत आँगन में दाना चुगने आती है ।
कभी हाथ की लोई है माँगा करती -
और कभी चुन चुन कर चावल खाती है ।
कोकिल जैसी मधुर कर्ण प्रिय बानी है ।
हिन्द देश हम सारे हिंदुस्तानी है ।।
आँसू से हम चरण मित्र के धोते है,
लिपटा कर निर्धन को प्रभु भी रट है ।
धन वैभव का भेद न होता मित्रों में -
बूँद बूँद के मोती सदा पिरोते हैं ।
दीन दुखी की व्यथा सभी ने जानी है ।
हिन्द देश हम सारे हिंदुस्तानी है ।।
सुखी और को देख नयन हरषा करते,
सावन भादों मेघ सघन बरसा करते ।
ग्रीष्म पकाया करती अन्न प्रसन्नमना -
यहाँ देवता जन्म हेतु तरसा करते ।
स्नेह प्रेम अपनापन यही निशानी है ।
हिन्द देश हम सारे हिंदुस्तानी है ।।
ग्वालों के सँग खेला यहाँ कन्हाई है,
जन्में देवकी पाले यशुदा माई है ।
भूमि सुता जानकी राजरानी बनती -
धर्म थापना हेतु लड़ा रघुराई है ।
सदाचरण नित लिखता नयी कहानी है ।
हिन्द देश हम सारे हिंदुस्तानी है ।।