STORYMIRROR

डॉ. रंजना वर्मा

Abstract Fantasy

4  

डॉ. रंजना वर्मा

Abstract Fantasy

सुनो चांद

सुनो चांद

1 min
245


२३ अगस्त २०२३

चंद्रयान के चंद्र पर विशेष


सुनो चांद !

बहुत दिनों तक 

लुभाते रहे तुम

दिखा कर हमें 

अपना मायावी रूप,

बने रहे

सौंदर्य के प्रतिमान

अद्भुत उपमान

पूजते रहे हैं हम

तुम्हारे स्वरूप को.

करते रहे

मंगलकामनाएं.

देखते रहे तुम्हें

जल से भरे

परात के पानी में.

खेलती रही है लहरें

बना कर तुम्हें

क्रीड़ा-कंदुक.

करते रहे तुम्हें 

पाने की कामना.

और देखो

आज हमने

पा लिया तुम्हें.

कर लिया स्पर्श

तुम्हारे तल का.

पढ़ा था हमने

पुराणों में

कि 

एक बार

अर्जुन को लेकर

कृष्ण गए थे

चंद्र तल पर.

मिलाया था उन्हें

अभिमन्यु से.

सिखाया था

जीवन की

नश्वरता को.

ज्ञान कराया था 

जन्म मृत्यु के 

तत्व का.

एक बार फिर

आए हैं हम

धरती मां की

राखी लेकर

जोड़ने के लिए

स्नेह संबंध.

तभी तो

नहीं किया हमने

औरों का अनुकरण.

आगे से नहीं,

पीछे से छुआ है तुम्हें.

अनुभव करो

तुम भी

बिना देखे

इस स्नेह भरे स्पर्श का।

प्यारे चंदा !

बने रहना यूं ही

हमारे मामा

हमारी श्रद्धा के प्रतीक

बरसाते रहना

स्नेह और आशीष

निरंतर

सुन रहे हों न चांद ?



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract