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डॉ. रंजना वर्मा

Romance

4  

डॉ. रंजना वर्मा

Romance

प्रिय मै गीत सुनाऊँ

प्रिय मै गीत सुनाऊँ

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प्रिय मैं गीत सुनाऊँ तुम सो जाओ ।।


पता नहीं  संघर्ष  अधिक हैं

या  जीवन की  राह कटीली,

मिले किसी को फूल भरे पथ 

मिली  राह  हमको  पथरीली ।


कदम लड़खड़ा रहे हमारे 

हाथ बढ़ा कर प्रीति निभाओ ।

प्रिय मैं गीत सुनाऊँ तुम सो जाओ ।।


बरसों  तुमने  गीत सुनाये

लोरी  गाकर मुझे सुलाया,

तुमने अपनी नेह सुधा का 

घूंट सदा ही  मुझे पिलाया ।


बहुत रात बीती प्रियतम अब 

नैनों में कुछ स्वप्न सजाओ ।

प्रिय मैं गीत सुनाऊँ तुम सो जाओ ।।


कितनी  रातें  तुम ने  मेरे 

लिये स्वयं नयनों में काटी,

काँटे चुन कर  मेरे पथ के 

मुझसे सारी खुशियां बाँटी ।


बहुत थकन बढ़ रही साँवरे 

कोई लोरी मधुर सुनाओ ।

प्रिय मैं गीत सुनाऊँ तुम सो जाओ ।।


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