प्रिय मै गीत सुनाऊँ
प्रिय मै गीत सुनाऊँ
प्रिय मैं गीत सुनाऊँ तुम सो जाओ ।।
पता नहीं संघर्ष अधिक हैं
या जीवन की राह कटीली,
मिले किसी को फूल भरे पथ
मिली राह हमको पथरीली ।
कदम लड़खड़ा रहे हमारे
हाथ बढ़ा कर प्रीति निभाओ ।
प्रिय मैं गीत सुनाऊँ तुम सो जाओ ।।
बरसों तुमने गीत सुनाये
लोरी गाकर मुझे सुलाया,
तुमने अपनी नेह सुधा का
घूंट सदा ही मुझे पिलाया ।
बहुत रात बीती प्रियतम अब
नैनों में कुछ स्वप्न सजाओ ।
प्रिय मैं गीत सुनाऊँ तुम सो जाओ ।।
कितनी रातें तुम ने मेरे
लिये स्वयं नयनों में काटी,
काँटे चुन कर मेरे पथ के
मुझसे सारी खुशियां बाँटी ।
बहुत थकन बढ़ रही साँवरे
कोई लोरी मधुर सुनाओ ।
प्रिय मैं गीत सुनाऊँ तुम सो जाओ ।।