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डॉ. रंजना वर्मा

Tragedy

4  

डॉ. रंजना वर्मा

Tragedy

वृक्ष की वेदना

वृक्ष की वेदना

2 mins
326


साथ मिला अमरुद डाल का 

चली  कुल्हाड़ी  खट्टम  खट ।।


डाल  कटी तो  बरगद रोया,

उतरी छाल  न पीपल सोया ।

कटहल जामुन आम अभागे

निंब - वृक्ष  ने  धीरज खोया ।

गिरीं डालियाँ  सब कट कट ।।

 

साथ मिला अमरुद डाल का 

चली  कुल्हाड़ी  खट्टम  खट ।।


घहर घहर घहराया कटहल

हहर  हहर  हहराया पीपल,

ठूंठ  हुई  बरगद की  डाली 

सूना हुआ धरा का आँचल । 

वृक्ष  बन  गये ज्यों  झंझट ।।


साथ मिला अमरुद डाल का 

चली कुल्हाड़ी खट्टम खट ।। 


हमने तो  सबको दुलराया 

हमसे  सबने जीवन पाया,

वज्र हुई  मानव की छाती

हमसे  ऐसा  वैर  निभाया ।

बंद  हुआ  करुणा का पट ।।


साथ मिला अमरुद डाल का 

चली  कुल्हाड़ी  खट्टम  खट ।।


जीवन  दूभर हो जायेगा

सांस न  कोई  ले पायेगा ।

पायेगा न फूल फल छाया 

तब यह मानव पछतायेगा ।

लौटेगा फिर  इस  चौखट ।।


साथ मिला अमरुद डाल का 

चली  कुल्हाड़ी  खट्टम  खट ।।


रीता होगा जीवन घट,

प्राणों का होगा संकट ।

साथ मिला अमरुद डाल का 

चली  कुल्हाड़ी  खट्टम खट । 

गिरीं डालियाँ सब कट कट ।।


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