मैं नहीं जाना, प्रभुजी तेरी दु
मैं नहीं जाना, प्रभुजी तेरी दु
मैं नहीं जाना, प्रभुजी तेरी दुनिया में। अब दिलचस्पी नहीं रही, दुनिया की मुनिया में।।
माता के गर्भ में जाते ही, मेरा सामना होगा मशीनों से।। ये पढ़ी लिखी दुनिया सारी, मुझे खोजेगी दूरबीनों से।। बे-कुसूर होकर भी मैं, सज़ा मौत की पाऊँगी। कुछ दिन हफ़्तों के अन्दर , मैं वापस करदी जाऊँगी।। मात्र खिलोना रह गई हूँ, मैं तेरी दुनिया में..
माना कि मृत्यु से बचकर मैं , जीवन-पथ पर आ जाऊँगी। जिश्म छेदकर सुनहरी, बेड़ियों में बांधी जाऊँगी।। फिर खेला जाएगा मेरे, आशा और अरमानों से ।। जांचा परखा जाएगा, मुझे अलग-अलग पैमानों से।। नज़रों से तीर छूटेंगे मैं , बंध जाऊँगी पैजनियों में...
हवस,दबंगई, झूंठी शान में , वहां नोंचेगे मेरा तन। सत्ता, शासन ढाल बनेंगे, होगा बेशर्मी का प्रदर्शन। बेटी बनी गरीब की तो , मुश्किल होगी आजादी मेरी।। जातिवादी दानव कर देंगे, एक दिन बर्बादी मेरी।। बलात्कार, हत्या से जुर्म , न सह पाऊँ तेरी दुनिया में..
तुम देखोगे,देखेगा कानून, तुम्हारी दुनिया का।। रातों में ही बदन भष्म , कर डालेंगे तेरी मुनिया का। हत्यारों का कर रहे समर्थन, सब तेरी दुनियाँ में। अब दिलचस्पी नहीं रही, दुनिया की मुनिया में..... मैं नहीं जाणा प्रभुजी तेरी दुनियाँ में...
