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S R Daemrot (उल्लास भरतपुरी)

Others

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S R Daemrot (उल्लास भरतपुरी)

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इंसानियत जो छोड़ दे, इंसान बुरा

इंसानियत जो छोड़ दे, इंसान बुरा

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हिंदु बुरा है न, मुसलमान बुरा है।

इंसानियत जो छोड़ दे, वो इंसान बुरा है।

अपने ही क्षेत्र का जो, खण्डों में बांट दें।सरकारी सहायता को मुस्टंडों में बांट दें।सुनता नहीं है क्षेत्र के, गरीब की जो बात।

पैसों के बिना चले ना, मज़लूम के भी साथ।                        

नेता नहीं अच्छा, ऐसा प्रधान बुरा है।  इंसानियत जो छोड़ दे इंसान बुरा है।

ताकत पर करे गर्व और गुरूर दिखाए। निर्बल के लिए हमेशा शरीर दिखाए।  कुश्ती में जो आज तक, ना जीत सका हो।

नशे से जिसे प्यार हो, नारी पे फिदा हो।हर दौर में देखा है, वो पहलवान बुरा है।इंसानियत जो छोड़ दे इंसान बुरा है।

  

विद्यार्थी शिक्षक के अब अच्छे नहीं रिश्ते।   

पढ़ रहे न पढ़ाते, बस समय को घिसते।सरकारी शिक्षा केंद्र, भी उपहास बने हैं।ट्यूशन के लिए मास्टर कुछ खास बने हैं।

शिक्षा बनी दुकान ये, अभियान बुरा है.. इंसानियत जो छोड़ दे इंसान बुरा है।


मज़हब के नाम पे ये, कत्लेआम बुरा है।। 

पैसों में जो बिक जाये, वो सम्मान बुरा है।।

पुरखों की विरासत को कोड़ियों में बेच दे।

ऐसा कोई वारिस, और संतान बुरा है।  खेती को बचाने को भी जो संघर्ष न करे।

ऐसा आलसी व लालची, किसान बुरा है।

सत्ता के चाटें चरण, झूठी खबर दिखायें।

सरकार से सवाल की हिम्मत न जुटाये।। 

ऐसा मीडिया,ऐसा अखबार, बेईमान बुरा है।।

जो करते नहीं सम्मान कभी राष्ट्रध्वज का।  

देशद्रोही ही होंगे वो जो कहते हैं, संविधान बुरा है

इंसानियत जो छोड़ दे इंसान बुरा है।

            


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