देशभक्ति गीत: दिल और ज़िगर का टुकड़ा दिया है
देशभक्ति गीत: दिल और ज़िगर का टुकड़ा दिया है
दिल और जिगर का टुकड़ा दिया है ,तुमको हे, माँ भारती -2
हमने अपने लहू का क़तरा दिया है , तुमको है माँ भारती -2
माँ-बाप:-
"मैं जननी हूं ,तू जन्मभूमि, तेरा हक मुझसे ज्यादा है।
सुत, दूध लजायेगा न माटी, मेरा ये तुमसे वादा है।"
मेरे बुढ़ापे का है ये सहारा, दिल का चैन मेरी आँखों का तारा।
वारिश ही अपना समर्पित किया है तुमको ए माँ भारती.....
बहन:-
हर वक्त ये चिड़ाया करता है, पगली कह बतियाया करता है।
मैं करूं शिकायत जब मां से, याद राखी की दिलाया करता है.
तभी तो कहती हूं......
राखी की मेरी, है ये कलाई, रक्षा की ,इसने कसमें हैं खाई।
राखी का बंधन ही अर्पित किया है तुमको है माँ भारती।......
जीवन संगिनी:-
घर खाने को आता है ,हर वक्त रहूँ तन्हाई में।
नज़दीक दिखे तो लगता है, मेरे सिर पे परछाई है।
तब कहती हूं......
गजरा ,सुहाग ,मेरी माथे की बिंदिया, दिन का चैन, मेरी रातों की निंदिया।
जीवन ही अपना समर्पित किया है तुमको है माँ भारती।
सब मिलकर.....
मां:दिल और जिग़र का टुकड़ा दिया है, तुमको है माँ भारती।
पिता::- अपने लहू का क़तरा दिया है , तुमको है माँ भारती।
बहन: राखी का बंधन ही अर्पित किया है, तुमको है माँ भारती
सभी: सब कुछ ही अपना समर्पित किया है, तुमको है माँ भारती।.
