STORYMIRROR

Manu Sweta

Tragedy

5  

Manu Sweta

Tragedy

एक सपना

एक सपना

1 min
505

देख रही थी

अच्छे सपने

पर उसके सपने

हो न सके अपने

भंग हो गयी

उसकी तन्द्रा

महल की जगह

मिली है कंदरा

सोचा था

अच्छा घर होगा

घर बस

मंदिर होगा??

चलो इसे ही

मंदिर बना लूंगी

इसमें अपने देवता

को बिठा लूँगी

मगर वो,

अब तक आये नहीं

क्या ????

मिलन की प्रथम

रात का भान नहीं

सोच रही थी

यही सब बैठी

कुछ उनसे ऐंठी

सोच रही थी

यूँ न बोलूंगी

अपना पट शीघ्र

न खोलूँगी

कुछ मुझको तो

मनाये वो

अपनी गलती पर

पछताये वो

ये तो मिलन की

प्रथम रात है

क्या प्रतीक्षा कराना

अच्छी बात है

पर तभी कपाट

धीरे से खुलते है

नयन मिलाने से

नयन डरते है

मगर ये क्या???

जैसे ही उसने

नज़रों को उठाया

शराबी पति को

सामने पाया

हाथ में शराब की

भरी शीशी थी

उम्र भी अच्छी खासी थी

सारे अरमान

हो गए चकनाचूर

क्या भाग्य को था

ये ही मंजूर

मगर उसे और

कुछ जानना था

विधि के हाथों

बनना खिलौना था

किस्मत ही उसकी

फूट गयी

बिजली सी उस पर

टूट गयी

जब पता चला

कि उसका किया

गया सौदा है

ये पति नहीं

सिर्फ धोखा है

अब तो उसकी

यही कहानी है

हर शाम उसकी

इज़्ज़त तार तार होनी है

जब भी गुज़रती हूँ

सामने से मकां

के उसके

उसकी बेबसी पर

तरस आ जाता है

इस समाज पर

क्रोध और रहम

आ जाता है

क्रोध इसलिए की

क्यों मासूम जिंदगी

से ये खेलता है

फिर इसको

वैश्या बोलता है

खुद दागदार है

दामन इसका

कीचड़ उसके दामन

पर उछालता है

रहम आता है कि

इसने अपना मुकद्दर

खुद ही बिगाड़ लिया

जिस नारी की

होनी चाहिए थी पूजा

उसको इसने अपने

पैरो से है रौंदा

इसका क़र्ज़ तो इसे

चुकाना ही पड़ेगा

क्योंकि आज जो

इसने दूसरे के

साथ किया है

कल इसके

साथ भी वही होगा।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy