फटी जेब
फटी जेब
महंगाई से फटी जेब में
क्या ?
समा पाता
जितना कोई
कमाता
उतना ही निकल जाता
महंगाई से फटी जेब में
क्या !
कीमतों में
दिन-ब-दिन
जो उतार-चढ़ाव आता
कोई इस चीज से बचाता
और उधर खर्च आता
कुल मिला के
हाथ का
रुपया भी चला जाता
महंगाई से फटी जेब में
क्या समा पाता
ऊपर से बदले नोट
जिनको दे दिये थे वोट
सरकारों से विश्वास भी
चल -चल के निकल जाता
किस जेब में
रखता आदमी पैसा
अर्थव्यवस्था की
जेब को ही फटा पाता।
