लिखने को
लिखने को


लिखने को बाक़ी बचा क्या है .........?
लिखने को अभी ,
बहुत कुछ बाक़ी है।
जिंदगी के फलसफों में ,
अभी सुधार बाक़ी है।
कितने अधूरे कामों का,
कंधों पे भार बाक़ी है।
विचारों को चाट रही,
वहमों की काट बाक़ी है।
जिंदगी को जिंदगी से, मिला दे।
वो हर बात बाक़ी है।
जिसको ढूंढता हूँ ,भीतर |
उस रब की तलाश बाक़ी है।
खुद से मिला ही कब था।
अभी बहुत बात बाक़ी है।
यह मत सोचिये,
नही रहा लिखने को।
अभी इतिहास -दर-इतिहास बाक़ी है।