रहगुज़र
रहगुज़र
थक गई हूँ यूँ ही बैठे बैठे
कोई रहगुज़र नहीं मिलता
दर्द सहती हुँ कब से तन्हा
कोई हमदर्द नहीं मिलता
कर रही हूं सफर अकेले
कोई हमसफर नहीं मिलता
यू तो भीड़ बहुत है दुनिया में
मगर जो दूर तक साथ दे
वो रहनुमा नहीं मिलता
मेरी नौका पड़ी मझधार में
मुझे जो पार लगा दे
ऐसा खेवनहार नहीं मिलता
खूब हँसती है दुनिया दुःख में
लेकिन जो मुझे दिलासा दे
वो ऐसा दिलदार नहीं मिलता
तू भी मिट्टी मैं भी मिट्टी
फिर ये गुमाँ क्यों है ऐसा
जो सिखाये वो उस्ताद नहीं मिलता
ये दुनिया एक रंगमंच जैसी
जो हँस खेलकर किरदार निभाए
श्वेता ऐसा कलाकार नहीं मिलता।