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Mahesh Sharma Chilamchi

Tragedy

3  

Mahesh Sharma Chilamchi

Tragedy

दर्द ए बागबां

दर्द ए बागबां

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अजी सुनिए

विडम्बना तो देखिए,

मालिक के बाग की,

अंजान पर कर भरोसा,

रहवर बना दिया,


दिल में कराहना हुई,

और आंख नम हुई,

जब फूल पर माली ने,

'राज' हक जता दिया,

मन आत्म मुग्ध था बड़ा,

कलियों को देखकर,

भावों के हाव भाव ने,

भावुक बना दिया,


बेशक उसे है हक कि, 

वो ले खुश्बू बाग की,

पर जड़ से सुरक्षा का,

काहे कर हटा दिया,


माली रखेगा कैसे, 

ये है फूल की किस्मत,

बगिया को सींच पोष कर,

गुलशन बना दिया,


माली भी करे हक से,

हिफाजत गुलाब की

गुलज़ार रहे ये चमन,

सब हक भुला दिया।


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