STORYMIRROR

Mahesh Sharma Chilamchi

Abstract

3  

Mahesh Sharma Chilamchi

Abstract

कोरोना शादी...

कोरोना शादी...

1 min
287

समय ने है,

कैसा ये चक्र चलाया,

विधना के माथे चढ़,

कोरोना आया,


वधू और वर का

था सुन्दर, मेलापक,

तय दिन से पहले ही,

आ पहुंचा याचक,


राक्षस ने लेकिन विकट,

चक्र रोपा,

कोरोना ने हर घर शहर,

मार्ग रोका,

मगर तात राजा से,

आज्ञा ले आया,


पौ फटते भगिनी को,

परिणय वेदी पहुंचाया,

अखतीज पावन,

दो हजार बीस आई,

चहुंओर सन्नाटा,


मुख मोद छाई,

दूल्हे के के पापा ने,

मंडप सजाया,

वर को वधु का ,

मधुर कर थमाया,

घोड़ी बराती और,


बाजों ढम ढम,

संख्या में पहुंचे थे,

जीरो से भी कम,

मंत्रों की ऊं ऊं थी,

कमरे में छाई,


यामा ने भोर संग,

शादी रचाई,

मोबाइल साक्षी थे,

सखी साथी सारे,


बैठे 'राज़' घर से, 

पहुना निहारे,

मिलन को न दुश्चक्र,

ही रोक पाया,

कोरोना को गा गा के,

गारी हराया,


जी भर के सबने,

कोरोना चिढ़ाया,

लॉक डाउन को,

यादगार बनाया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract