होरी की मारी - हाय दैया
होरी की मारी - हाय दैया
नटखट बनबारी- हाय दैया
मारी पिचकारी- हाय दैया,
मैं नार नवेली मतवारी
रंग में कर डारी - हाय दैया।
मद मस्त जवानी है मेरी
सारा जग बन बैठा है बैरी,
मेरे अंग अंग ज्वाला धहके,
तन एक चिंगारी - हाय दैया,
नटखट बनबारी - हाय दैया।
होरी का मौसम है अनुपम
हैं लाख पचास मेरे प्रियतम,
घर गली चिलमची मोहे छेड़ें
कह कर मद मारी - हाय दैया,
नटखट बनबारी - हाय दैया।
मोहे रात दिना ना चैन पड़े,
जब से छैला से नैन लडे,
नस नस में दर्द उठे मीठौ,
उतरे न ख़ुमारी - हाय दैया,
नटखट बनबारी - हाय दैया।
पोरों से जवानी बह रही है,
अंगिया नित छोटी है रही है,
वपु काया गात्र न धीर धरे,
दारुण दुःख भारी - हाय दैया,
नटखट बनबारी - हाय दैया।
खाना पीना कुछ न भाए,
मोहे श्याम सलोना भरमाए,
फिरती इठलाती तितली सी,
लज्जा तज डारी हाय - दैया,
नटखट बनबारी - हाय दैया।
नैनन नैनन बतराय गयौ,
कटि पीत बांध मटकाय गयौ,
जब घूंघट ओट करी मैंने,
मेरी चूनर फारी - हाय दैया,
नटखट बनबारी- हाय दैया।
अंग लाल गुलाल लगाय गयौ,
कर झालौ मोहे बुलाय गयौ,
जब डांट डपट रोकन चाहो,
मोहे दे गयौ गारी - हाय दैया।
कुच कामिनी कह कर के हेरे,
इत उत देख हाथ धरे मेरे,
जबरन अंगिया में रंग भरौ,
लज्जा की मारी - हाय दैया,
नटखट बनबारी - हाय दैया।
रबड़ी कौ कुल्ला दे दुंगा,
होरी दगरे में खेलुंगा,
तेरी एक नहीं चलने दुंगा,
सुन भाभी प्यारी - हाय दैया,
नटखट बनबारी - हाय दैया।