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Mahesh Sharma Chilamchi

Abstract

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Mahesh Sharma Chilamchi

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कर्म वृत्ति

कर्म वृत्ति

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सोते सोते महीनों बीते,

उठो पार्थ संधान करो,

कब तक बैठे खाओगे,

अब कर्म हेतु प्रस्थान करो,


भला किया प्रकोप कोरोना,

मोदी जी को ज्ञान हुआ,

कुढ़ते रहते थे छुट्टी को,

महारोग वरदान हुआ,


पहली बार हुआ कुछ ऐसा,

बार बार शुकरान करो,

कब तक बैठे खाओगे,

अब कर्म हेतु प्रस्थान करो,


पूर्ण विराम लगा कर्मों पर,

जीवन की रफ्तार थमी,

खाना पीना मौज उड़ाना,

किसी चीज की नहीं कमी,


अमला लगा हुआ सेवा में,

हुकुम राज़ आजान करो,

कब तक बैठे खाओगे,

अब कर्म हेतु प्रस्थान करो,


रोज नए पकवान बनाकर,

घर में खूब हुई खातिर,

खाते सोते थका नहीं क्या,

छुट्टी की इच्छा है फिर,


नींद मोह को तजकर मानुष,

कर्म वृत्ति बलवान करो,

कब तक बैठे खाओगे,

अब कर्म हेतु प्रस्थान करो,


रस्ता की भी भूल-भुलैया,

शायद तुझको याद न हो,

ऐसी करनी बनी न जग में,

जिसकी कोई मियाद न हो,


रास्ते में जो मिलें अड़चनें,

घर पर लौट बखान करो,

कब तक बैठे खाओगे,

अब कर्म हेतु प्रस्थान करो,


कार्य क्षेत्र का कोना कोना,

तुझको देख पुकार रहा,

तेरे बिना कलम-दवातों,

पर भी चढ़ा बुखार रहा,


चाय सुबह की बाट निहारें,

मट्ठी का गुणगान करो,

कब तक बैठे खाओगे,

अब कर्म हेतु प्रस्थान करो।


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