दोस्ती....✍️
दोस्ती....✍️
मेरा नाम उसी से बदनाम भी उसी से,
बिन बुलाये मुसीबत में फसाता है दोस्त
जेबें खाली उसी ने ही की मेरी,
मेरी हर बेवकूफी में भागीदार है दोस्त
पर जरूरत में दौड़ के आता है सिर्फ वो,
किस्मत में खुशियाँ लिखता है दोस्त
इस स्वार्थ की दुनिया में,
निस्वार्थ का मतलब है दोस्त..
सामने बेशक बुराई करता हो,
पर कोई और कुछ बोले तो
लड़ने को तैयार है दोस्त,
यारों से अब और क्या माँगे हम,
जिंदगी का अनमोल
तोहफा है दोस्त...
मेरे घरवालों के सामने यार शरीफ बना बैठे,
पर असर में मेरे शैतानी का राज़ है दोस्त,
जिंदगी जिम्मेदारियों से भरा सोमवार है,
तो सुकून का इतवार है दोस्त...
इस मतलबी दुनिया में,
बिना मतलब का रिश्ता है दोस्त,
ना शर्त, ना वादे, ना कसमें...
धर्म मजहब इन सब से परे है दोस्त..
शाम को मंज़िल की फ़िक्र ना करे,
चाय के संग बातें और गालियों में भी मिठास है दोस्त,
ख़ामोशी को पहचाने मेरी,
बिना कहे ही दिल की बात
समझना है दोस्त...
ठोकर लगे तो संभालना है दोस्ती,
गिरूँ तो उठकर चलना सिखाता है दोस्ती,
कितने राज़, कितने किस्से, कितने झूठ..
खूबसूरत यादों का पिटारा है, सच्चा यार है दोस्ती..
Happy friendship day
