तो तुम मुर्दा हो अपनी ग़लतियों को गर तुमने हमेशा किसी कारण का जामा पहना दिया या मानने से इंकार... तो तुम मुर्दा हो अपनी ग़लतियों को गर तुमने हमेशा किसी कारण का जामा पहना दिया ...
जरा सी नजर हटी तो खेल खत्म। जरा सी नजर हटी तो खेल खत्म।
प्रेम, कितना स्वार्थ जगाता है? मुझे मैं और मेरे से परे कुछ भी समझ नहीं आता है, मैं हूँ, मुझ मे... प्रेम, कितना स्वार्थ जगाता है? मुझे मैं और मेरे से परे कुछ भी समझ नहीं आता है...
सर्वत्र है सर्वत्र है, स्वार्थ ही सर्वत्र है। प्रेम तो सदा ही से अभिशप्त है, क्युंकि स्वार्थ ही स... सर्वत्र है सर्वत्र है, स्वार्थ ही सर्वत्र है। प्रेम तो सदा ही से अभिशप्त है, ...
नरक के दर्शन फिर यहीं हो जाएंगे चाह कर भी फिर माँ बाप न मिल पाएंगे। नरक के दर्शन फिर यहीं हो जाएंगे चाह कर भी फिर माँ बाप न मिल पाएंगे।
जाने मस्त कहाँ व्यस्त हो गया जो मानवता अब रुग्ण हो गई। जाने मस्त कहाँ व्यस्त हो गया जो मानवता अब रुग्ण हो गई।