प्रेम, कितना स्वार्थ जगाता है? मुझे मैं और मेरे से परे कुछ भी समझ नहीं आता है, मैं हूँ, मुझ मे... प्रेम, कितना स्वार्थ जगाता है? मुझे मैं और मेरे से परे कुछ भी समझ नहीं आता है...
हाबू आया देस म्ह, साँसत म्ह सै जान। जान सै तो जहान सै, सुण लो देकै ध्यान। हाबू आया देस म्ह, साँसत म्ह सै जान। जान सै तो जहान सै, सुण लो देकै ध्यान।
लहरों से टकराया फिर भी डूबा नहीं ! तो अनहोनी को होने का क्या मतलब ? लहरों से टकराया फिर भी डूबा नहीं ! तो अनहोनी को होने का क्या मतलब ?
बिलखी थी पत्नियाँ और माँ भी बिलखी थी पत्नियाँ और माँ भी
जमीं पे जब भी कोई हादसा होता हैं, हर जुबाँ पे चर्चा बादशाह होता हैं ! जमीं पे जब भी कोई हादसा होता हैं, हर जुबाँ पे चर्चा बादशाह होता हैं !
सीने में जो आग है तेरे, बुझने ना दे उसको कभी। सीने में जो आग है तेरे, बुझने ना दे उसको कभी।